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लेखनी प्रतियोगिता -02-Dec-2021

नन्हे हाथो से ,
खिलौना हाथ से छूट गया,
खिलौना था ये काँच का,
गिरा ज़मींं पे टूट गया,
रोने लगा सुबक-सुबक कर,
और ज़मीं पर लेट गया,
लेकर खिलौने के टूकडो को,
जोडने आपस मे बैठ गया,
मासूम सी आँखो से,
आँसू ना रुक पाए,
सोच रहा है ये खिलौना,
शायद फिर से जुड जाए,
बार-बार आँसूऔ को पौंछे,
पर खिलौना ना छोडे,
उल्टे-पूल्टे लगा जोडने,
भला काँच कैसे जुडे,
ये तो था एक खिलौना काँच का,
गिरते ही ज़मीं पर टूट गया,
नन्हे-नन्हे हाथो से,
खिलौना हाथ से छूट गया,
खिलौना था ये काँच का,
गिरा ज़मीं पे टूट गया।

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8 Comments

Priyanka06

08-Aug-2022 09:15 AM

बेहतरीन रचना

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Sana Khan

06-Dec-2021 07:24 PM

Good

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Seema Priyadarshini sahay

03-Dec-2021 12:08 AM

बहुत खूबसूरत

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